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अनमोल विचार
लोगों से साथ विनम्र होना सीखे| महत्वपूर्ण होना जरुरी है लेकिन अच्चा होना ज्यादा महत्वपूर्ण है |
-शिव खेड़ा
आत्म-सम्मान और अहंकार का उल्टा सम्बन्ध है.
-शिव खेड़ा
अच्छे लीडर्स और लीडर्स बनाने की चेष्ठा करते हैं, बुरे लीडर्स और फालोवार्स बनाने की चेष्ठा करते हैं.
-शिव खेड़ा
किसी डिग्री का ना होने दरअसल फायेदेमंद है. अगर आप इंजिनियर या डाक्टर हैं तब आप एक ही काम कर सकते हैं.पर यदि आपके पास कोई डिग्री नहीं है , तो आप कुछ भी कर सकते हैं.
-शिव खेड़ा
विपरीत परिस्थितियों में कुछ लोग टूट जाते हैं , तो कुछ लोग लोग रिकॉर्ड तोड़ते हैं.
-शिव खेड़ा
"यदि आपको लगता है कि आप कर सकते हैं - तो आप कर सकते हैं! अगर आपको लगता है कि आप नहीं कर सकते - तो आप नहीं कर सकते दोनों ही सूरतों में आप सही हैं
-शिव खेड़ा
जीतने वाले अलग चीजें नहीं करते, वो चीजों को अलग तरह से करते हैं.
-शिव खेड़ा
अगर हम हल का हिस्सा नहीं हैं, तो हम समस्या हैं.
-शिव खेड़ा
लोग इसकी परवाह नहीं करते हैं कि आप कितना जानते हैं, वो ये जानना चाहते हैं कि आप कितना ख़याल रखते हैं.
-शिव खेड़ा
एक देश नारे लगाने से महान नहीं बन जाता.
-शिव खेड़ा
विजेता बोलते हैं की " मुझे कुछ करना चाहिए " हारने वाले बोलते हैं की " कुछ होना चाहिए "
-शिव खेड़ा
आपने मित्रों को सावधानी से चुने | हमारे व्यक्तित्व की झलक न सिर्फ हमारे सांगत से झलकती है बल्कि, जिन संगतों से हम दूर रहते हैं उससे भी झलकती है |
- शिव खेड़ा
किसी को धोखा न दें क्यूंकि ये आदत बन जाती है , और फिर आदत से व्यक्तित्व |
-शिव खेड़ा
सत्य का क्रियान्वन ही न्याय है.
-शिव खेड़ा
जीतने वाले लाभ देखते हैं, हारने वाले नुकसान .
-शिव खेड़ा
When
people walk away from you, let them go.
Your destiny is never tied
to anyone who leaves you,
and
it doesn't mean they are
bad people.
It just means that their
part in your story is over..
Be the first one to
say Sorry,
when the other person seems to
be hurt bcoz of U nd
Be the 1st one to forgive,
if a Person says Sorry to U!
Sometimes, I forget
to say hi,
Sometimes, I even miss to reply,
Sometimes, my msg doesn't reach u,
But, it doesn't mean that I forget u,
I'm just giving u time to miss me!
Akbar Birbal (अकबर बीरबल के किस्से)
Mahesh Das was a citizen in the kingdom of Akbar. He was an intelligent young man.
Once when Akbar went hunting in the jungle, he lost his way. Mahesh Das who lived in the outskirts helped the king reach the palace. The emperor rewarded him with his ring.
The Emperor also promised to give him a responsible posting at his court. After a few days Mahesh Das went to the court. The guard did not allow him to enter.
Mahesh Das showed the guard the ring which the king had given him. Now the guard thought that the young man was sure to get more rewards by the king. The greedy guard agreed to allow him inside the court on one condition. It was that Mahesh Das had to pay him half the reward he would get from the Emperor. Mahesh Das accepted the condition.
He then entered the court and showed the ring to the King.
The King who recognized Mahesh asked him "Oh young man! What do you expect as a reward from the King of Hindustan?" "Majesty! I expect 50 lashes from you as a reward." replied Mahesh Das. The courtiers were stunned. They thought that he was mad. Akbar pondered over his request and asked him the reason.
Mahesh Das said he would tell him the reason after receiving his reward. Then the king’s men whipped him as per his wish. After the 25th lash Mahesh Das requested the King to call the guard who was at the gate.
The guard appeared before the King. He was happy at the thought that he was called to be rewarded. But to his surprise, Mahesh Das told the King ,"Jahampana! This greedy guard let me inside on condition that I pay him half the reward I receive from you. I wanted to teach him a lesson. Please give the remaining 25 lashes to this guard so that I can keep my promise to him."
The King then ordered that the guard be given 25 lashes along with 5 years of imprisonment. The King was very happy with Mahesh Das. He called him.
1. तीनो लोको के स्वामी सर्वशक्तिमान भगवान विष्णु को नमन करते हुए मै एक राज्य के लिए नीति शास्त्र के सिद्धांतों को कहता हूँ. मै यह सूत्र अनेक शास्त्रों का आधार ले कर कह रहा हूँ।
2. जो व्यक्ति शास्त्रों के सूत्रों का अभ्यास करके ज्ञान ग्रहण करेगा उसे अत्यंत वैभवशाली कर्तव्य के सिद्धांत ज्ञात होगे। उसे इस बात का पता चलेगा कि किन बातों का अनुशरण करना चाहिए और किनका नहीं। उसे अच्छाई और बुराई का भी ज्ञात होगा और अंततः उसे सर्वोत्तम का भी ज्ञान होगा।
3. इसलिए लोगो का भला करने के लिए मै उन बातों को कहूंगा जिनसे लोग सभी चीजों को सही परिपेक्ष्य मे देखेगे।
4. एक पंडित भी घोर कष्ट में आ जाता है यदि वह किसी मुर्ख को उपदेश देता है, यदि वह एक दुष्ट पत्नी का पालन-पोषण करता है या किसी दुखी व्यक्ति के साथ अतयंत घनिष्ठ सम्बन्ध बना लेता है.
5. दुष्ट पत्नी, झूठा मित्र, बदमाश नौकर और सर्प के साथ निवास साक्षात् मृत्यु के समान है।
6 . व्यक्ति को आने वाली मुसीबतो से निबटने के लिए धन संचय करना चाहिए। उसे धन-सम्पदा त्यागकर भी पत्नी की सुरक्षा करनी चाहिए। लेकिन यदि आत्मा की सुरक्षा की बात आती है तो उसे धन और पत्नी दोनो को तुक्ष्य समझना चाहिए।
7.भविष्य में आने वाली मुसीबतो के लिए धन एकत्रित करें। ऐसा ना सोचें की धनवान व्यक्ति को मुसीबत कैसी? जब धन साथ छोड़ता है तो संगठित धन भी तेजी से घटने लगता है।
8. उस देश मे निवास न करें जहाँ आपकी कोई ईज्जत नहीं हो, जहा आप रोजगार नहीं कमा सकते, जहा आपका कोई मित्र नहीं और जहा आप कोई ज्ञान आर्जित नहीं कर सकते।
9 . ऐसे जगह एक दिन भी निवास न करें जहाँ निम्नलिखित पांच ना
हो:
एक धनवान व्यक्ति ,
एक ब्राह्मण जो वैदिक शास्त्रों में निपुण हो,
एक राजा,
एक नदी ,
और एक चिकित्सक।
10 . बुद्धिमान व्यक्ति को ऐसे देश में कभी नहीं जाना चाहिए जहाँ
:
रोजगार कमाने का कोई माध्यम ना हो,
जहा लोगों को किसी बात का भय न हो,
जहा लोगो को किसी बात की लज्जा न हो,
जहा लोग बुद्धिमान न हो,
और जहाँ लोगो की वृत्ति दान धरम करने की ना हो।
11. नौकर की परीक्षा तब करें जब वह कर्त्तव्य का पालन न कर रहा
हो,
रिश्तेदार की परीक्षा तब करें जब आप मुसीबत मे घिरें
हों,
मित्र की परीक्षा विपरीत परिस्थितियों मे करें,
और जब आपका वक्त अच्छा न चल रहा हो तब पत्नी की परीक्षा
करे।
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